The Definitive Guide to bhairav kavach

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कथयामि श्रृणु प्राज्ञ बटुककवचं शुभम्।

ॐ ह्रीं पादौ महाकालः पातु वीरासनो हृदि ॥ १३॥

श्रुणुयाद् वा प्रयत्नेन सदाऽऽनन्दमयो भवेत् ॥ १॥

देयं पुत्राय शिष्याय शान्ताय प्रियवादिने ॥ ३०॥

साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।



वाद्यं बाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा।।

ॐ पातु नित्यं शिरसि पातु ह्रीं कण्ठदेशके website ॥ १०॥



नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।

 



।। इति रुद्रयामले महातन्त्रे महाकाल भैरव कवचं सम्पूर्णम् ।।

संहारभैरवः पातु दिश्यैशान्यां महेश्वरः

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